“रुक जा लड़की, बूढ़ी दादी मां पर तरस खा”, दादी मां राधा के पीछे दौड़ते हुए बोली। “हाहाहाहाहा, अरे मेरी प्यारी दादी, अभी तो तुम जवान हो। बड़ी बड़ी हिरोइनों को पानी पिला दो।”, हंसते हुए राधा बोली। “बस कर, अब मैं थक गई हूं“, बोलते हुए दादी बैठ गई। “ओहो दादी, तुम ही तो मेरी जान हो। तुम थक गई तो मैं भी थक गई। जैसे तोते में राक्षस की जान होती है”, राधा हंसते हुए बोली।
“हां क्यों नहीं, कुछ सालों बाद ये तोता छूट जायेगा और कोई और ही नया तोता होगा“, दादी ने मुस्कुराते हुए कहा। “क्या दादी, जाओ मैं आपसे बात नहीं करती“, राधा रूठते हुए बोली। “ओहो लाडो रानी रूठ गई। अच्छा चल, तेरी मां ने तेरी मनपसंद खीर बनाई है। चल के खाते हैं“, दादी ने कहा। दोनों दादी पोती घर की ओर चल पड़ी।
“आ गई बिटिया रानी“, राधा के पिता ने मुस्कुराते हुए कहा। “हां …और चढ़ाओ इसको सर पे। इसके उम्र की लड़कियां घर का सारा काम करती हैं… और मजाल है की महारानी बर्तन भी उठा के यहां से वहां रख दे।” राधा की मां रसोई से चिल्ला के बोली। राधा के पिता ने इशारे से राधा को शांत रहने को बोला। “हां हां ….कर लेगी काम। सीख लेगी सब। अभी उम्र ही क्या है“, राधा के पिता बोले। “अच्छा, 19 की हो जाएगी इस साल। कॉलेज में पढ़ती है। अभी भी नहीं सीखेगी तो कब सीखेगी“, राधा की मां बोली।
“अरे कॉलेज से याद आया, बेटी तेरी पढ़ाई कैसी चल रही है“, राधा के पिता ने बात बदलते हुए कहा। “हां… वोह तो बढ़िया ही चल रही है पापा। आपको तो पता ही है की आपकी बेटी सबसे ज्यादा बुद्धिमान है। इस साल भी मैं कॉलेज में टॉप करूंगी।”, राधा इतराती हुई बोली। “ज्यादा हवा में ना उड़। धरती पे आ जा। यह स्कूल नहीं है जो फर्स्ट आ जाएगी“, मां बोली। “आज करेले तो बनाए नहीं थे। इतनी कड़वाहट कहां से ले आई तुम“, राधा के पिता ने राधा की मां से कहा। “हां हां, मैं तो हमेशा गलत ही बोलती हूं। लड़की है, लड़की की तरह ही रहने दो। कल को शादी करके दूसरे घर जाएगी तो वो बोलेंगे की मां बाप ने कुछ नहीं सिखाया।”, राधा की मां बोली।
“मैं अपनी बेटी को आईएएस अधिकारी बनाऊंगा। लड़के वाले खुद रिश्ता ले कर आएंगे।”, राधा के पिता ने मुस्कुराते हुए कहा। राधा ने आगे बढ़ कर अपने पिता को गले से लगा लिया। “….और चड़ाओ सर पर, मुझे क्या। तुम ही निपटना”, राधा की मां बोली। “मां, मैं घर का काम भी सीख लूंगी और एक अच्छी बहू भी बन जाऊंगी। अभी तो कम से कम खीर खिला दो“, राधा बोली। राधा की मां ने कहा, “जा रसोई में रखी है। खुद जा कर ले ले“। राधा फुदकती हुई रसोई में चली गई। “मैं कहती हूं कि यही सही वक़्त है। हमें राधा के लिए संजीदा हो जाना चाहिए। ऐसा ना हो कि ना वो अफसर बन पाए और ना कोई अच्छा घर मिले“, राधा की मां ने उसके पिता से कहा। “तुम बिना बात के इतना परेशान होती हो। कपालभाती किया कर। थोड़ा ब्लड प्रेशर काबू में रहेगा। हमने अपनी बेटी को हमेशा सबसे अच्छी सुविधाएं दी हैं। उसने हमेशा पढ़ाई और खेल में हमारा नाम रोशन किया है। वो आगे भी ऐसे ही रहेगी। सब छोड़ अभी खाना डाल। सुबह से खेत में ट्रैक्टर चला के थक गया हूं“, राधा के पिता ने कहा।