“क्या बात है, आज तो कहर बरपाया जा रहा है।”, सड़क किनारे खड़े लड़कों के झुण्ड ने एक जाती हुई लड़की को देख कर बोला। “बदतमीज कहीं के, इनके घरवालों ने इन्हे यही संस्कार दिए हैं।”, लड़की धीरे से बुदबुदाई। आगे चल कर वह लड़की अपनी सहेलियों के पास पहुंची तो सबने पूछ, “क्या हुआ? तुम इतनी परेशान क्यों दिख रही हो?“| “कुछ नहीं यार यह रोज़ का काम है। हम लड़कियों को तो यह रोज़ ही सहना पड़ता है। आज फिर वो अरमान और उसके बदमाश दोस्तों ने छेड़ा ।”, उसने कहा, “ऐसे लोगों से बच के ही रहना चाहिए।” राधा बोली, “अरमान तेरी ही क्लास में है ना ?”, राधा की सहेली बोली। “हां, फेल हो कर हमारी क्लास में ही आ गया। लगता है हम सब कॉलेज पास कर जायेंगे और वो यहीं रह जायेगा।”, राधा हंसते हुए बोली।
“क्लास ! सभी यहां बोर्ड पे ध्यान दें। आज हम पड़ेंगे relativity theory।“, प्रोफेसर ने कहा। “अरे हमने कहां relation बनाने हैं।“, अरमान आखिरी बैंच पे बैठ के धीरे से बोला। “हां हम सब जानते हैं कि आपको तो पढ़ने में कोई रुचि है नहीं। कम से कम और लोगों को तो पढ़ने दो। आप चाहें तो बाहर जा सकते हैं।“, प्रोफेसर ने कहा। “हम तो चले परदेस हम परदेसी हो गए“, गाते हुए अरमान क्लास से बाहर चला गया।
सारी क्लास हंस पड़ी।क्लास खत्म होने पे सभी बच्चे बाहर चल पड़े। “यह अरमान कितना बदतमीज है ना। इसको पढ़ने में बिल्कुल भी रुचि नहीं है। मैं तो यह सोचती हूं कि इसके मां बाप इसे कुछ नहीं बोलते।“, राधा ने अपनी सहेली से कहा। “इसके मां बाप नहीं हैं। इसके दादा दादी ने इसे पाला है। दादा ऑटो चलाते हैं और दादी कपड़े सिलती है। कहते हैं कि स्कूल तक यह सबसे होशियार छात्र था। जबसे कॉलेज आया है, ग़लत संगत में पढ़ गया है।“, राधा की सहेली बोली। राधा ने देखा कि अरमान ग्राउंड में क्रिकेट खेल रहा था। लंबा चौड़ा , हट्टा कट्टा नौजवान था। दिखने में भी इतना बुरा नहीं था। फिर ऐसी हरकतें क्यों करता है। यही सोचती हुई राधा घर की और चल पड़ी।
“हैलो“, पीछे से किसी ने आवाज़ दी। राधा ने मुड कर देखा तो अरमान खड़ा था। राधा एक दम से घबरा गई। उसको समझ में नहीं आ रहा था कि अरमान ने उसे क्यों रोका। घबरा कर बोली, “येस, हाऊ कैन आई हेल्प यू।” “आप मेरी कोई मदद नहीं कर सकती। मदद तो में तुम्हारी करने आया हूं।”, अरमान मुस्कुराते हुए बोला। मुस्कुराते हुए उसके गालों में शाहरुख की तरह गड्डे पढ़ रहे थे। “लगता है तुम बहुत अमीर हो।“, अरमान बोला। “क्या मतल?”, राधा ने कहा। “और क्या? मुझ जैसा आदमी तो कभी अपने पैसे से खरीद के कोका कोला भी ना पियूं और तुम कैंटीन में १०० का नोट दे कर बाकी के बकाया छोड़ के आ गई।“, अरमान ने पैसे देते हुए बोला। राधा एक दम से सकते में आ गई। “ओह मैं पैसे कैसे भूल गई। थैंक्स“, राधा ने कहा। “ऐसे सूखे सूखे थैंक्स नहीं चलेगा। ट्रीट देनी पड़ेगी।“, अरमान बोला। “अभी तो तुम पैसे पे इतना भाषण दे रहे थे। अब ट्रीट मांग रहे हो।”, राधा ने कहा। “तो में कौनसा फाइव स्टार होटल में पार्टी मांग रहा हूं। अपनी कॉलेज की कैंटीन में पफ भी चलेगा।”, अरमान ने कहा। “कल सोचूंगी।“, राधा ने कहा। “मैं, इंतज़ार करूंगा“, अरमान ने कहा।